हमारा समाज भी ना , दिग्भ्रमित हो चुका है।
हज़ारो करोड़ के लोन से उद्योग लगाए हैं
क्या हुआ गर बैंक के पैसे नहीं लौटाए हैं ?
पर ये बैंक उद्योगपति से क्यों वापस मांगते है ?
क्या बड़े लोगों से उसके रिश्ते को नहीं जानते है ?
बैंक पहले ये देखे कि किसान ने 50 हज़ार नहीं लौटाए हैं
और इस बार 2 प्रतिशत लोग कार लोन की किश्त नहीं भर पाए हैं
उद्योगपति बेचारा तो देश तक छोड़ चुका है
हमारा समाज भी ना , दिग्भ्रमित हो चुका है।
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