Thursday 7 May 2020

समाज को समय के आधार पर दो भागों में बांटा जा सकता है।

एक बुद्ध से पहले का मान्यताओं , रूढ़ियों और अन्धविश्वास का समाज और दूसरा बुद्ध के बाद का तर्क , तथ्य और सत्यान्वेषण का महत्त्व समझने वाला समाज।  बुद्ध पहले थे जिन्होंने प्रश्न और तर्क करने का सुझाव दिया और मान्यताओं को परखने की बात की।

हम सौभाग्य से बुद्ध के बाद के समाज में जन्मे हैं, और दुर्भाग्य से मान्यताओं को तर्क और प्रश्न से परे रखते हैं। बुद्ध के बारे में अवश्य सबको जानना चाहिए, यह जानकारी बौद्ध साहित्य से न मिले तो और भी उत्तम।

बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनाएं !




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