Tuesday 30 January 2018

राष्ट्रीय बेशर्मी

               ( मयंक शर्मा )

नव वर्ष दोबारा आना है , सब स्वागत को तैयार रहें .
डिस्को, भांगड़ा, वोदका, व्हिस्की और कैबरे की भरमार रहे .
खा पीकर सारे टुन्न बनें , उछलें कूदें नाचें गाएं ,
फिर पीकर झगड़ें , गाली दें , खुद पिटें और जूते खाएं .
दुश्मन को पीठ पीछे कोसें , अपनों से सीधा समर रहे ,
यह नीति हमारी अमर रहे , यह प्रीति हमारी अमर रहे.

जो अच्छा पिछले साल हुआ , उसपर उछलें ताली पीटें ,
जो बुरा हुआ उसको भूलें , कहकहा लगा सर को झींटे .
जीवन की विफलता भूल सभी खेलों की सफलता पर झूमें ,
हम शर्म को जूतों तले दबा सर तान के दुनिया में घूमें .
मरने वालों का नाम लो , मुँह पर जीतों की खबर रहे .
यह गर्व हमारा अमर रहे , यह पर्व हमारा अमर रहे .

नेता सारे यह भाषण दें मरने वाले तो मरते हैं ,
दुश्मन को लगता मार रहे , वो जनसंख्या कम करते हैं .
इसको भी देश की विजय समझ मन में ही वेदना वार सहें ,
अगला हमला जल्दी होगा सब मरने को तैयार रहें .
जो आया उसको जाना है , फिर हमलों की क्यों फिकर रहे ?
धारणा ये अपनी अमर रहे , प्रेरणा ये अपनी अमर रहे .

यह देश राम गौतम का है , यहाँ दुःख में भी खुश रहते हैं ,
जब प्रियजन अपना मरता है , तब भोज करेंगे कहते हैं.
मरने पे भोज सबका करते , हर वर्ष ही श्राद्ध मानाते हैं ,
सब मरें और हमें दान मिले , कुछ सज्जन यह फरमाते हैं.
सबमें बसता है परमात्मा , जर देह आत्मा अजर रहे,
नव प्रण ये हमारा अमर रहे , दर्शन ये हमारा अमर रहे .

जो चले गए वह अमर हुए , उनके पीछे क्या पछताना ?
जो जायेंगे वो अमर होंगे , क्यों सुरक्षा को फिर बढवाना ?
अपनों की लाशें ना देखें , आतंकी लाशों पर नाचें ,
हमने भी उनके मारे हैं , दुनिया भर में गाकर बांचें .
इस वर्ष मित्रता दौरे हों , पानी की तरह फिर बजट बहे ,
सरगर्मी अपनी अमर रहे , बेशर्मी अपनी अमर रहे.



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